Re: (2)संक्षिप्त वाल्मीकि रामायण(अयोध्याकांड)
प्रातःकाल जब चित्रकूट जाने के लिये भरत मुनि भरद्वाज से अनुमति लेने पहुँचे तो उन्होंने भरत को समझाते हुये कहा, "भरत! तुम अपनी माता के प्रति दुराग्रह न रखना, इसमें उनका कोई दोष नहीं है। कैकेयी द्वारा किये गये कार्य में परमात्मा की प्रेरणा है ताकि वन में असुरों और राक्षसों का राम के हाथों विनाश हो सके।"
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