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Old 24-04-2011, 02:12 AM   #135
ravi sharma
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Default Re: रोचक जानकारियां

इन 7 लोगों को नमस्कार न करें
सनातन धर्म की श्रेष्ठता का कारण उसकी परंपराओं के पीछे इंसानी जीवन से जुड़ी वैचारिक और व्यावहारिक गहराई है। सुबह उठने से लेकर रात को सोने तक बताई गई अनेक क्रियाएं इंसान के विचार और व्यवहार को अनुशासित रख जीवन को ऊंचा उठाती है।

ऐसी ही एक क्रिया है - नमस्कार। यह शारीरिक मुद्रा पूरी दुनिया में भारतीय होने की पहचान भी है। नमस्कार की मुद्रा असल में सम्मान या स्नेह प्रगट करती है। वहीं इसका असर संबंधों को गहरा ही नहीं करता, बल्कि यह छोटी-सी शारीरिक मुद्रा किसी भी इंसान के व्यक्तित्व, चरित्र और व्यवहार को भी बेहतर बनाती है। क्योंकि दोनों हाथों को मिलाकर, हल्का सा शरीर के झुकाव के साथ किया गया नमस्कार असल में सबसे पहले व्यक्ति के अहं को दूर करता है, जो अनेक मानसिक और व्यावहारिक दोषों का कारण भी है।

नमस्कार द्वारा अभिवादन का यह तरीका दूसरों पर भी अच्छा असर करता है, जो आपके लिए भी सकारात्मक नतीजे देता है। क्योंकि दूसरों को दिया गया सम्मान बदले में वैसा ही सम्मान, सहयोग और प्रेम लाता है।

चूंकि हर क्रिया और व्यवहार का महत्व मर्यादा के बिना अधूरा है। यही कारण है कि हिन्दू धर्म शास्त्रों में नमस्कार करने के लिए भी कुछ मर्यादाएं बताई गईं है। जिनका पालन आपके साथ दूसरों के लिए भी हितकारी होती हैं। जानते हैं किसी व्यक्ति से नमस्कार किन-किन स्थितियों में न करें -

जो व्यक्ति दूर हो - ऐसी स्थिति में कोई व्यक्ति आपके अभिवादन को न देख पाए। जिसे अनदेखी समझकर आपके मन में कलह पैदा हो सकता है।

जो व्यक्ति जल में हो - जल में रहने या तैरते वक्त थोड़ी भी चूक जानलेवा हो सकती है। यह ध्यान भंग आपके नमस्कार से भी संभव है।

जो व्यक्ति दौड़ रहा हो - आपके द्वारा किए गए नमस्कार से दौड़ते व्यक्ति की एकाग्रता और लय बिगडऩा उसकी चोट या ठोकर का कारण बन सकता है।

धन के अहंकार से ग्रसित व्यक्ति - ऐसे व्यक्ति से नमस्कार आपके अपमान का कारण भी बन सकता है।

नहाता हुआ व्यक्ति - स्नान का समय नमस्कार के लिए उचित स्थिति नहीं मानी जाती। क्योंकि यह आप और उस व्यक्ति को असहज बना सकती है।

मूढ़ या मूर्ख व्यक्ति - आचरण व व्यवहार की समझ ने होने से ऐसा व्यक्ति नमस्कार की अहमियत नहीं समझता और आपकी भावना को आहत कर सकता है।

जो व्यक्ति अपवित्र हो - किसी कारणवश जैसे मृत्यु संस्कार कर्म या किसी अन्य कारण से अपवित्रता के दौरान कोई व्यक्ति सहज मनोदशा में नहीं होता, तो नमस्कार उचित नहीं है।
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बेहतर सोच ही सफलता की बुनियाद होती है। सही सोच ही इंसान के काम व व्यवहार को भी नियत करती है।
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