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Originally Posted by kamesh
उसे अहसाश कराएँ और काम करने के लिए प्रेरित करें
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बात तो पते की है । हम शिक्षित हैँ , सम्पन्न हैँ और सामाजिक हैँ तो समाज के इस हिस्से के लिये भी हमारी उत्तरदेयता है , हमारा दायित्व बनता है कि हम उनके उन्नयन के लिये प्रेरक का कार्य करेँ न कि कोरी सहानुभूति प्रदर्शित कर अथवा उन्हेँ चंद सिक्के दान कर अपने मोक्ष की ख़ातिर उन्हेँ निठल्ला बनाकर । समाज की इस बड़ी हिस्सेदारी का एक तबका जानबूझकर काम नहीँ करना चाहता और रेल , मंदिर , फुटपाथ पर बैठ अपना वर्तमान काट लेना चाहता है । आवश्यकता है उन्हेँ सन्मार्ग दिखाकर उनका भविष्य प्रशस्त करने की । भविष्य उन्हीँ का सुधरता है जिनका वर्तमान कर्म करना जानता है ।