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Originally Posted by bhaaiijee
राम राम बीरबल जी /
दिन दूना रात चौगुना तरक्की करो !!
दीपावली का अवसर है अतः अब रात में भी अपना कारखाना चलाया करो .... तभी तो तरक्की मिलेगी //
" वो हथियार ले के चल पड़े, हमारी मौत के लिए /
मेरा दोस्त मर मिटा, 'जय' अपने दोस्त के लिए //"
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दादा, करने को तो चौबीसों घंटे भी कारखाना चला सकते हैं. लेकिन मैं धन के पीछे ज्यादा नहीं भागता. इसलिए बहुत साधारण तरीके से कार्य करता हूँ.
मेरी किस्मत में गम गर इतना था
दिल भी या रब कई दिए होते
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अच्छा वक्ता बनना है तो अच्छे श्रोता बनो,
अच्छा लेखक बनना है तो अच्छे पाठक बनो,
अच्छा गुरू बनना है तो अच्छे शिष्य बनो,
अच्छा राजा बनना है तो अच्छा नागरिक बनो
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