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Originally Posted by jalwa
दादा, करने को तो चौबीसों घंटे भी कारखाना चला सकते हैं. लेकिन मैं धन के पीछे ज्यादा नहीं भागता. इसलिए बहुत साधारण तरीके से कार्य करता हूँ.
मेरी किस्मत में गम गर इतना था
दिल भी या रब कई दिए होते
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सुन्दर विचार है बीरबल जी !
हृदय गदगद हो गया / धन्यवाद /
"तुम हमारे स्वप्न में आते हो, तो बस मुस्कुराते हो /
क्या गूंगे हो तुम ? नहीं तो मौन क्यों बन जाते हो //"