Re: निर्मोही नुक्कड़ ... नास्तिक की चाय की दुकान
आगाज़ तो अच्छा है ..
तो लीजिए चाय की पहली चुस्की ले कर हाज़िर हुआ हूँ .....
The Question of significance... or Relevance...
महत्व का प्रश्न ...
मैं , एक मिनट के लिए मान लेता हूँ कि है एक दैव शक्ति, जो इस ब्रह्माण्ड को चला रही है ....
परन्तु क्या उसकी ओर अग्रसर होना, या होने का प्रयास करना, और इस प्रोसेस में अपना कर्म समय और ऊर्जा व्यर्थ करना, जबकि मालूम है कि वह परा मानवीय है , अप्राप्य है , क्या उचित है, क्या संगत है ???
मना कि उत्सुकता मनुष्य की प्रवृत्ति है, और अधूरा ज्ञान अति उत्सुकता की पहली और सबसे बड़ी वजह है, परन्तु उत्सुक होने और अज्ञानी होने में अंतर है, क्यूँ नही हम जितना ज्ञात है उसे मान लेते हैं, और कल्पना को उचित सिद्ध करने का प्रयास करते रहते हैं ???
क्या एक समय सामान आवश्यकताओं के अज्ञानी समाज को एकजुट करने के लिए बनाये गए बंधनों को गहना बना कर पहनना आज के समय में उचित है ...
प्रश्न, औचित्य का है दोस्तों, या पहला प्रश्न औचित्य का है , इतना तो अवश्य है ....
आपका
विक्की
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