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Old 24-05-2011, 06:29 AM   #16
prashant
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prashant is a jewel in the roughprashant is a jewel in the roughprashant is a jewel in the roughprashant is a jewel in the rough
Smile Re: वन्दे मातरम !

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Originally Posted by miss.dabangg View Post
इस कथन से तीन बातें स्पष्ट हो जाती हैं कि (१) सन 1800 तक संसार में भारतीयों की पहचान सभ्य समाज के रूप में थी. इस तथ्य को तो हम नहीं जानते न ? (२) तब तक भारत के लोग इन अंग्रेजों को असभ्य समझते थे जो कि वे थे भी. गो मांस खाना, कई- कई दिन न नहाना, स्त्री- पुरुष संबंधों में कोई पवित्रता नहीं, झूठ, ठगी, रिश्वत आदि ये सब अंग्रेजों में सामान्य बात थी जबकि आम भारतीय तब बड़ा चरित्रवान होता था. अधिकाँश लोग शायद मेरे बात पर विश्वास नहीं करेंगे, अतः इस बात के प्रमाण के लिए 2 फवरी, 1835 का टी. बी. मैकाले का ब्रिटिश पार्लियामेंट में दिया वक्तव्य देख लें. उसे कभी बाद में उधृत करूंगा. (३) तीसरा महत्वपूर्ण निष्कर्स मिल के कथन से यह निकालता है कि उसने भारतीयों को गुलाम बनाए रखने की दृष्टी से जो भी लिखना पड़े वह लिखा. यानी सच नहीं लिखा.भारतीयों में हीनता जगाने, गौरव मिटाने की दृष्टे से लिखा.

आपका यह सूत्र अच्छा है लेकिन आपने एक प्रमाण दी की बात कही है/यदि वह भी दें तो ज्यादा जानकारी मिलेगी/
prashant is offline   Reply With Quote