लेकिन सत्ता जिन लोगों के हाथ में आयी वो भारत को इंग्लैंड की तरह बनाना चाहते थे | आज़ादी की लड़ाई के समय सभी दौर के क्रांतिकारियों का एक विचार था कि भारत अंग्रेज़ और अंग्रेजी दोनों से आज़ाद हो और राष्ट्रभाषा के रूप में हिंदी स्थापित हो | जून 1946 में महात्मा गाँधी ने कहा था कि आज़ादी मिलने के 6 महीने के बाद पुरे देश की भाषा हिंदी हो जाएगी और सरकार के सारे काम काज की भाषा हिंदी हो जाएगी | संसद और विधानसभाओं की भाषा हिंदी हो जाएगी | और गाँधी जी ने घोषणा कर दी थी कि जो संसद और विधानसभाओं में हिंदी में बात नहीं करेगा तो सबसे पहला आदमी मैं होऊंगा जो उसके खिलाफ आन्दोलन करेगा और उनको जेल भेजवाऊंगा | भारत का कोई सांसद या विधायक अंग्रेजी में बात करे उस से बड़ी शर्म की बात क्या हो सकती है | लेकिन आज़ादी के बाद सत्ता गाँधी जी के परम शिष्यों के हाथ में आयी तो वो बिलकुल उलटी बात करने लगे | वो कहने लगे कि भारत में अंग्रेजी के बिना कोई काम नहीं हो सकता है|