Re: राजस्थान का शौर्यपूर्ण इतिहास : एक परिचय
ओझा ने अग्निवंशी मत की एक अन्य व्याख्या की है। परमार वंश के प्रथम शासक 'धूम्रराज' का एक उत्कीर्ण लेख में उल्लेख है। अत:'धूम्र' अर्थात् अग्नि से निकले हुए धुएँ से धूम्रराज की अग्निवंशी उत्पत्ति मानी गई। किन्तु अन्य अग्निवंशी राजपूतों ने इस मत को मान्यता नहीं दी है। आसोपा का मत है कि परमार ब्राह्मण से क्षत्रिय बने।
मंडौर के प्रतिहार ब्राह्मण हरिश्चन्द्र के वंशज तथा कन्नौज के प्रतिहार लक्ष्मण के वंशज कहे जाते हैं। अत: प्रतिहार भी ब्राह्मण से क्षत्रिय बने। चहमानों का पूर्वज सामन्त बिजोलिया लेख के अनुसार विप्र था। चालुक्य भी अभिलेखों के आधार पर ब्राहम्णों के वंशज थे। इस प्रकार 'पृथवीराज रासो' में उल्लिखित सभी चार राजपूत वंश ब्राह्मण से क्षत्रिय बने। अग्निवंशी कहने का तात्पर्य था कि अग्निकुण्ड से उनकी शुद्धि की गई। ये ब्राह्मण अपनी प्राचीन आग्नेय उत्पत्ति बनाये रखने के लिए अग्निवंशी राजपूत कहलाये।
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आपका दोस्त पंकज
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