Re: राजस्थान का शौर्यपूर्ण इतिहास : एक परिचय
इस लड़ाई में पराजय के लक्षण देखकर राजसिंह शेखावत बहुत घबराया व अन्होंने जयपुर महाराजा को इस आशय का पत्र लिखा कि निरन्तर दो माह से युद्ध चल रहा है, लेकिन अभी तक हमें प्रताप सिंह को परास्त करने में सफलता नहीं मिली है। सारी सेना हतोत्साहित हो रही है। जिससे अब विजय प्राप्ति की आज्ञा रखना दुराशा मात्रा है। सेना नायक का पत्र पाकर महाराजा पृथ्वी सिंह बड़ा भयभीत हुआ और उसे अपने मान रक्षा की बड़ी चिन्ता हुआ व अन्त में उसने प्रताप सिंह से क्षमा याचना की। प्रताप सिंह ने उसकी क्षमा याचना को स्वीकार कर लिया और अपने हृदय से सारा मन-मुटाव दूर कर जयपुर महाराजा पृथ्वी सिंह से मिलने के लिए जयपुर को प्रस्थान किया। जयपुर नरेश ने उसका यथोचित स्वागत किया। तत्पश्चात् प्रताप सिंह राजगढ़ लौट आया व अपनी शक्ति तथा राज्य विस्तार में लग गया।
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'' हम हम हैं तो क्या हम हैं '' तुम तुम हो तो क्या तुम हो '
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