Re: My hindi forum का इतिहास
अब कुछ बातें उनकी हो जाये ...जिनकी मेहनत से आज हमें एक प्यारा-प्यारा मंच मिला ...
यू तो फोरम दुनियाँ के तमाम प्रशासकों से नजदीकियां हैं पर अभि भाई से काफी कुछ ऐसा सीखा जिसे शब्दों में पिरोना काफी मुश्किल है पर प्रयास करता हूँ ...
एक सौम्य और शान्त व्यक्तित्व, कर्म के प्रति निष्ठावान हर पल कुछ नया करने की चाहत.. मंच के पुराने दिनों में चलभाष पर काफी परिचर्चा हुई और संजाल पर एक अच्छे इन्शान को पाया.. असामान्य परिस्थितियों में भी निर्णय कैसे और क्या लिये जायें...
मंच जितना भी सुस्त चले पर विषय सामान्य और यूवाओं पर ही केन्द्रित हो ... तमाम सेक्स कुंठित व्यक्तित्व के स्वामीयों से अकेले ही मोर्चा सभालते हुये आज माई हिन्दी फोरम जिस मुकाम पर है ..उसके लिये अभि जी सम्मान और आभार के सच्चे हकदार हैं ...
कबीर जी के ये दो शब्द अभि जी के लियें
मोह फंद सब फाँदिया, कोइ न सकै निराबार/
कोइ साधू जन पारखी, बिरला तत्व बिचार//
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