Re: छींटे और बौछार
कौन सा रस ?
अब तुमने सब रसों के बारे में पढ़ लिया,
काव्य के नौ रसों के बाद,
एक और रस भी सुना,
वात्सल्य रस ।
अब मैं पूछूँगा,
तुम बताओगे ।
सुनो-
“नायक की बाँहों में नायिका,
नैन से नैन मिलाती,
विभिन्न आकर्षक क्रीड़ाएँ करती,
नायक को अपने हाथ से लड्डू खिलाती,
स्वच्छंद रूप से,
अपने प्रेम का इज़हार कर रही है।”
बताओ ! यहाँ पर कौन सा रस झलक रहा है ?
धन्य हो गुरु जी !
आप तो वास्तव में रसों की खान हैं,
वाह ! मुँह में पानी आ गया,
लड्डू के नाम से ।
धन्य हो “साहित्य रसोमणि” !
निःसन्देह,
आपने ग्यारहवां रस भी खोज निकाला,
सबका मनपसंद रस,
मीठा रस ।
रचनाकार
हरीश चन्द्र लोहुमी
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घर से निकले थे लौट कर आने को
मंजिल तो याद रही, घर का पता भूल गए
बिगड़ैल
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