Re: film review(फिल्म समीक्षा):- डबल धमाल (double dhamaal)
जी हाँ इधर कामेडी के नाम पर ज्यादातर ऐसी ही फिल्मे बन रही हैं और सफल भी हो रही हैं...ऐसी फिल्मो की सबसे बड़ी खासियत यही है कि इनमे कहानियाँ नदारद रहती हैं....डबल मीनिंग वाले डायलोग और अंग प्रदर्शन के सहारे फिल्मकार अपना काम निकाल लेता है...अगर बड़े स्टारों के साथ ये फिल्मे ना बने तो पहले ही शो मे इनका कचूमर निकलना तय है.......
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