पराती
मोर पिछुअरवा रे घन बंसवरिया
कोइलर बोले अनबोल,
सुतल रजवा रे उठि के बइठऽले
पसिया के पकड़ लेइ आउ रे
हँकड़हु -डँकड़हु गाँव-चकुदरवा
राजा जी के परे ला हँकार ए
कि राजा मारबि कि डांड़बि कि नग्र से उजारबि ए
नाहिं हम मारवि नाहिं गरिआइबि
नाहिं हम नग्र से उजारबिए।
जवना चिरइया के बोलिया सोहावन,
उहे आनि देहु रे।
डाढ़ि -डाढ़ि पसिया लगुसी लगावे,
पाते -पाते कोइलर लुकासु रे,
जेहिसन पसिया रे लवले उदबास, (उदबास=बेचैनी)
मुओ तोर जेठका पूतऽ ए।
तहरा के देब चिरई सोने के पिंजड़वा
खोरन दुधवा आहार रे।
जेहिसन पसिआ रे हमें जुड़वले
जिओ तोर जेठका पुतऽ रे।