Re: अण्णा हजारे जी का जीवन
व्यवसाय
वर्ष 1962 में भारत-चीन युद्ध के बाद सरकार की युवाओं से सेना में शामिल होने की अपील पर अन्ना 1963 में सेना की मराठा रेजीमेंट में ड्राइवर के रूप में भर्ती हो गए। उनका पहला पदस्थापन पंजाब में हुआ। 1965 में भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान अन्ना हज़ारे खेमकरण सीमा पर तैनात थे। 12 नवंबर 1965 को चौकी पर पाकिस्तानी हवाई बमबारी में वहां तैनात सारे सैनिक मारे गए।[2] इस घटना ने अन्ना की ज़िंदगी को हमेशा के लिए बदल दिया। इसके बाद उन्होंने सेना में १३ और वर्षों तक काम किया। उनका पदस्थापन मुंबई और कश्मीर में भी हुआ। १९७५ में जम्मू पदस्थापन के दौरान सेना में सेवा के १५ वर्ष पूरे होने पर उन्होंने स्वैच्छिक सेवा निवृत्ति ले ली। वे पास के रालेगांव सिद्धि में रहने लगे और इसी को अपनी सामाजिक कर्मस्थली बना लिया।
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बेहतर सोच ही सफलता की बुनियाद होती है। सही सोच ही इंसान के काम व व्यवहार को भी नियत करती है।
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