आमेर का किला
आमेर का किला जिसे राजा मान सिंह ने सन १५९२ में बनवाया था और उसे विस्तार दिया मिर्जा राजा जय सिंह प्रथम एवं द्वितीय ने. परन्तु मूलतः जो अम्बेर का किला अम्बा माता की प्रतिष्ठा में १३ वीं सदी में बना था वह तो ऊपर है और उसे बनवाया था मीणा (चंदा) राजवंश ने. उसे ही आज हम जय गढ़ के नाम से जानते हैं. आज वह भग्नावस्था में है. उस किले की तलहटी में पुराना आमेर महल और एक बस्ती भी थी जिसके भग्नावशेष भर रह गए हैं. वर्त्तमान महल के चाँद पोल के निकट से एक पत्थर बिछा मार्ग उन खंडहरों की ओर जाता है.
आमेर का वर्त्तमान महल हिन्दू एवं मुसलमानी स्थापत्यकला का एक बेजोड़ उदहारण माना जाता है. इसकी सुन्दरता की तारीफ सुन सुन कर बादशाह जहाँगीर जल भुन गया. कहते हैं कि उसने ईर्शावश उस महल की सुन्दरता को नेस्तनाबूद करने के लिए अपने आदमी भेजे थे. उनके पहुँचने के पहले ही महल के उन बेजोड़ अलंकरणों को प्लास्टर से ढक दिया गया. बादशाह को बताया गया कि महल की खूबसूरती महज अफवाह थी.
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