Re: उपचार तनाव का
सभी ने अनुमान से 300 से 400 ग्राम बताया। तब मनोवैज्ञानिक ने कहा, ‘कुछ भी वजन मान लें, लेकिन अधिक फर्क नहीं पड़ता। फर्क इस बात से पड़ता है कि मैं कितनी देर तक इसे उठाए रखता हूं। यदि इस गिलास को मैं एक मिनट तक उठाए रखता हूं तो मुझे कोई फर्क नहीं पड़ेगा।
मनोवैज्ञानिक ने आगे कहा यदि एक घंटे तक पानी के गिलास को उठाए रखूंगा तो हाथ में दर्द होगा और हाथ अकड़ जाएगा। यदि पूरा दिन इसे उठाकर रखूंगा तो मेरा हाथ पैरालाइज भी हो सकता है। इसी प्रकार आप लोग काम का तनाव कुछ समय तक के लिए रखें तो ठीक, लेकिन उसे घर तक लेकर जाएंगे तो अपना स्वास्थ्य और पारिवारिक जीवन दोनों को खो देंगे। इसलिए संस्थान के काम को निष्ठापूर्वक तनावरहित होकर निपटाएं और फिर परिवार में जाकर परिवार के ही होकर रहें।’
मनोवैज्ञानिक की बातों ने संस्थान के कर्मचारियों को तनाव मुक्त कर दिया। उनकी बातों को यदि जीवन में लागू करें तो हम पाएंगे कि चिंता और दु:ख जीवन के साथ लगे रहते हैं, किंतु यदि हम उनसे शीघ्र मुक्त होना सीख लें तो सुखी रह सकते हैं और यदि इन्हें मन से चिपकाए रखेंगे तो जीवन जीना दूभर हो जाएगा। वह बोझ बनकर रह जाएगा।
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
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