Re: कब हो ही सोनहा बिहान
सच में आपने अपने अनुभव का बेहतरीन वर्णन किया है, वास्तविकता में सुचना इस ही कहते है, जैसे हो वैसा ही बता दिया जाए तभी वह सत्य है. आपके लिखने का कौशल सराहनीय है, और इतने पारदर्शी वर्णन के साथ ही इसमें संस्कृति का उत्तम समावेश भी कर दिया. अद्भुत, काश की आपकी यही आदत नेताओ में भी आ जाती और जैसा है वैसा ही बताने की आदत वे दाल लेते, वैसे आजकल जहा देखो वह अपना स्वार्थ और मसाला जोड़ने की होड़ सी लगी है लोगो में, लिखने का उत्तम तरीका वही है जो आपने प्रदर्शित किया, वैसा लिखो जैसा देखा है उसमे बिलावजह खुद को न घुसो वो भी तब जबकि विषय की मांग न हो, काश शिवराज जी भी तनिक स्वयं का ये मोह छोड़ कर संस्कृति का सच्चा सौंदर्य देख पाते.
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