बारिश की मोटी चादर के बीच से एक चहेरा दिखाई दिया । वह लडकी था उठा कर टेक्सी रोक रही थी। वसंत ने अनायास ब्रेक लगा दिये। लडकी दरवाजा खोलने लगी तो वसंत ने पुछा कहां जाना है?
लडकी झुंझला जाती है। कहती है की पहले टेक्सी में बैठने तो दो!
बसंत मुक्सुरा कर दरवाजा खोलता है।
वह लडकी वसंत को टेक्सी ड्राईवर जो समज़ लेती है! वह बसंत को थोडी खरी-खोटी भी सुना देती है। वसंत उसे एक ड्राईवर की तरह ही उसके बताए हुए पते पर ड्राईव करने लगता है।
बसंत को यह संयोग अच्छा लगता है। बेक-व्यु मिरर में वह उस लडकी को ध्यान से देखता है। वह वाकई में सीदी-सादी और सुंदर लग रही थी।