Re: इधर-उधर से
उपरोक्त कार्यक्रमों के अतिरिक्त भी कुछ कार्यक्रम अनायास स्मृति पटल पर उभर आते हैं. दूरदर्शन पर आने वाला साप्ताहिक कार्यक्रम “सुरभि” (जिसके अब तक यानि सितम्बर 1997 तक लगभग 190 एपिसोड हो चुके हैं), ज़ी टीवी पर प्रस्तुत किया जाने वाला व रजत शर्मा द्वारा पेश किया गया कार्यक्रम “आप की अदालत” (जो कालान्तर में उनके खुद के चैनल ‘इंडिया टीवी’ का आकर्षण बन गया) और El TV का कार्यक्रम रू-ब-रू.
कल शाम यानि सोमवार, 25 सितम्बर को टीवी पर एक फिल्म दिखाई गयी थी “रावण” (1984) जो हर लिहाज़ से एक बेहतरीन तथा उल्लेखनीय फिल्म कही जायेगी. इस फिल्म में स्मिता पाटिल, विक्रम, गुलशन अरोड़ा और ओम पुरी व अन्यों ने लाजवाब काम किया है. निर्माता-निर्देशक जॉनी बख्शी हैं और संगीत जगजीत- चित्रा सिंह का है. कहानी व पटकथा बहुत कसी हुई तथा निर्देशन बहुत अच्छा और गठा हुआ है. यह फिल्म आम फार्मूला फिल्मों से अलग एक साफ़-सुथरी फिल्म है. फिल्म इन्डस्ट्री, जहाँ फिल्म बनाने का एक बड़ा उद्देष्य मुनाफ़ा कमाना है, ऐसी कलात्मक फ़िल्में बनाने से कतराती है.
नोट: आज इन्टरनेट के ज़रिये मालूम होता है कि इस फिल्म ने अपनी रिलीज़ पर ठीक ठाक कारोबार किया था और यह फिल्म वर्ष 1984 की 10 सफलतम फिल्मों में से एक थी. मेरा अपने साथी पाठकों से अनुरोध है कि यदि उन्होंने यह फिल्म अभी तक नहीं देखी तो एक बार अवश्य देखें. इन्टरनेट पर इसका लिंक आसानी से मिल जायेगा.
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
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