Re: मुहावरों की कहानी
पैरों वाले मुहावरे
(आलेख आभार: गुरमीत बेदी)
वैसे मुहावरे तो मैंने बहुत सुन रखे हैं, लेकिन कुछ मुहावरे ऐसे हैं जो सरकारी योजनाओं की तरह ग्राउंड लेवल से शुरू होते हैं। ग्राउंड लेवल मतलब निचला स्तर, और निचला स्तर मतलब आदमी के पैर। अब कोई कितना भी नीचे क्यों न गिर जाए, लेकिन अपने पैरों से नीचे थोड़े ही गिर सकता है। ज्यादा से ज्यादा पैरों पर ही गिरेगा न।
अब पैरों की बात चली है तो इतना बता दें कि पैरों को लेकर चार डिफरेंट किस्म के मुहावरे मुझे बहुत प्रिय हैं, जिनमें से एक है- पैर पकड़ना, दूसरा है -अपने पैरों पर खड़े होना, तीसरा है- अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मारना और चौथा है- चादर देखकर पैर पसारना। वैसे पैरों को लेकर एक मुहावरा यह भी है कि झूठ के पैर नहीं होते, लेकिन यहां हम नेताओं की तरह झूठ-मूठ की बात नहीं करेंगे और मुहावरों के चार शुरुआती आप्शंस पर ही चर्चा करेंगे ।
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
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