Re: जयपुर लिट्रेचर फेस्टिवल 2015 : 21 जनवरी से साहित
जयपुर साहित्य महोत्सव में विजय शेषाद्रि
महोत्सव में भाग ले रहे विदेशी मेहमानों में एक प्रमुख नाम विजय शेषाद्रि का है जो भारतीय मूल के हैं हैं और अमरीका में रहते हैं. शेषाद्रि अंग्रेजी के जाने-माने कवि हैं और पुलित्ज़र पुरस्कार विजेता हैं. अंग्रेजी साहित्य जगत में इसका अत्यंत महत्व है विशेष रूप से नॉन-फ़िक्शन साहित्य के क्षेत्र में.
शेषाद्रि से जब किसी ने यह कहा कि भारत में काव्य-साहित्य के प्रति लोगों का रुझान कम होता जा रहा है. वे इसका क्या कारण समझते है? तो शेषाद्रि का कहना था कि वे भारत के साहित्यिक माहौल के बारे में अधिक कुछ नहीं जानते, अतः इस विषय में कुछ नहीं बता सकते. हाँ, यदि अमरीका का संबंध है, वहाँ काव्य-साहित्य की गरिमापूर्ण स्थिति है. वहाँ काव्य-साहित्य के प्रति लोगों की समझ तथा उसके प्रति रुझान बढ़ा है.
‘इस बारे में स्थिति इतनी अनुकूल है कि मैं कह सकता हूँ कि बारहवीं शताब्दी में पर्शिया (फ़ारस या ईरान) में काव्य-साहित्य के प्रति समाज के हर तबके में जो उत्साह और लगाव था, ठीक उसी प्रकार का उत्साह और लगाव आज अमरीकी समाज में काव्य-साहित्य के प्रति देखने को मिलता है.’ उन्होंने कहा कि अमरीकी संदर्भ में वर्तमान समय काव्य-साहित्य का “स्वर्णिम युग” है.
हम आपको बता दें कि बारहवीं शताब्दी में पर्शिया या बड़े बड़े विद्वान् हो चुके हैं जिनमें सूफ़ी साहित्य के रचयिता शेख़ सादी व उमर ख़य्याम और उनसे पहले मौलाना रूमी थे. विश्व की सभी प्रमुख भाषाओं में इनकी रचनाएं प्रकाशित हो चुकी हैं. ये सभी विश्व-विख्यात विभूतियाँ है. हम कह सकते हैं कि सैंकड़ों वर्षों भी उनकी चमक कम नहीं हुई है.
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
Last edited by rajnish manga; 24-01-2015 at 09:36 AM.
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