मित्र नीरज जी,
सदस्यों पर यू दबाओ न बनाये और भावनाओं को समझे … शायद मेरा यह सुझाव फोरम परिवार के हित में काम आये। आप से आग्रहपूर्वक निवेदन है कि जो काम प्रबंधन का है उसे प्रबंधन पर ही छोंड दें और नये नये सूत्रों के निर्माण के साथ फोरम को नयी बुलंदियाँ छूने में सहयोगात्मक भाव से योगदान करें। आपकी प्रतिभा पर हमें शक नहीं है और यह आपकी पुरानी फोरम की तरह अ** फोरम नहीं है।
हार्दिक धन्यवाद।
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Originally Posted by jalwa
मित्र जै हिंद जी, बेहतरीन और अंतर आत्मा को झिंझोड़ देने वाले सूत्र के लिए आपको शुभकामनाएं. मित्र एक गुजारिश है.. ऊपर कुछ पोस्ट में आपने बहुत अच्छी हिंदी लिखी है लेकिन बीच बीच में आप रोमन में प्रविष्ठियां कर रहे हैं. क्योंकि आप पुराने और रचनात्मक सदस्य हैं और हमारे पुराने दोस्तों में से भी एक हैं. मित्र, (एक आग्रह) यदि हो सके तो सभी प्रविष्ठियां हिंदी में लिखने का प्रयास करें ..आपके विचार बहुत अच्छे हैं .. हिंदी में लिखे होने से ये सभी सदस्यों तक आसानी से पहुँच सकेंगे.
बाकी आपका सूत्र बहुत दमदार है. शुभकामनाओं सहित..... जलवा.
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