Re: क्या ये मेरा गुनाह है?
जब जब एईसी वारदातें होतीं हैं तब तब मन बेहद दुखी होजाता है और एईसी चार लाइन लिखकर मन मना लेती हूँ पर एकबात जरुर कहना चाहूंगी की मासूम और बेक़सूर लोगों की हत्या के बाद उनके अपनों की जो हालत होती है उसी जगह ये दंगाई खुद को रखें और इस दर्द को महसूस करें और समझे की कितना दर्द होता है जीवन बर्दाब हो जाते हैं तब जाने वाले तो चले जाते है पर पीछे बचे लोगों को नारकीय जीवन जीना पड़ता है क्यूंकि अपनों का विरह जीवन का सबसे बड़ा दुःख है . और सिर्फ धर्म के नाम पर आज दुनिया में सबसे ज्यदा हत्याएं होतीं है जबकि उसी धर्म को बनाने वाला तो समदर्शी है उसके लिए कोई बेगाना नहीं सब अपने हैं ..फिर उसे चाहे भगवान कहा जाय , चाहे खुदा कहा जाय, चाहे ईशा मसीह कहा जाय..
आपका कोई गुनाह नहीं होगा यदि आप हरेक धर्म के नियंता को एक ही मानें समदर्शी बने उनकी तरह ही तब आप सच्चे जागरुक धर्मिष्ठ कहलायेंगे
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