11-04-2013, 06:07 PM
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#26
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Re: मोती और माणिक्य
हुशियार यारे जाना यह गाँव है ठगों का.
याँ टुक निगाह चूकी और माल दोस्तों का.
इसकी बगल में गुप्ती, तेग उसके हाथ में है.
वह इसकी फ़िक्र में है, यह उसकी घात में है.
(शायर: नज़ीर अकबराबादी)
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क्या गेहूं, चावल, मोठ, मटर, क्या आग धुआं और अंगारा.
सब ठाट पड़ा रह जाएगा, जब लाद चलेगा बंजारा.
क्या शक्कर-मिश्री, कंद, गरी, क्या साम्भर मीठा खारी है.
क्या दाख, मुनक्के, सोंठ, मिर्च क्या केसर, लोंग, सुपारी है.
सब ठाट पड़ा रह जाएगा, जब लाद चलेगा बंजारा.
ये खेप जो तूने लादी है सब हिस्सों में बट जायेगी.
धी, पूत, जवांई, पोता क्या बंजारिन पास न आवेगी.
सब ठाट पड़ा रह जाएगा, जब लाद चलेगा बंजारा.
(शायर: नज़ीर अकबराबादी)
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