Re: साहित्यकारों के विनोद प्रसंग
एक कपटी और....
एक बार पं. हृषिकेश चतुर्वेदी किसी कवि गोष्ठी में गए. वहाँ स्व. बाबू गुलाब राय और डॉ. हरिशंकर शर्मा आदि अपने अपने कप में चाय पी रहे थे. चतुर्वेदी जी को आते हुए देख कर डॉ. शर्मा ने आयोजक को मुखातिब होते हुए कहा, “एक कप टी और.”
‘कप टी’ और ‘कपटी’ का अर्थ समझते हुए चतुर्वेदी जी फ़ौरन बोले, “कप टी नहीं, कु-पात्र कहिये.”
__________________
आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
|