Re: साहित्यकारों के विनोद प्रसंग
कृशन चंदर का बचपना
एक 75 वर्षीय महिला ने लजाते हुए कृशन चंदर से कहा, “आपसे आज मिल कर बेहद ख़ुशी हुयी. मैं तो बचपन से आपको पढती आ रही हूँ." कृशन चंदर सुन कर चुप हो गए.
एक महफ़िल में इसका ज़िक्र करते हुए कृशन चंदर बोले, “अगर वह महिला बचपन से मुझे पढ़ती आ रही है तो इस लिहाज़ से तो मैंने बचपन से ही कहानियाँ लिखनी शुरू कर दी थीं.”
वहाँ (उनकी पत्नी) सलमा सिद्दीकी भी मौजूद थीं. वह तपाक से बोलीं, “कृशन जी, आपकी बाज कहानियाँ पढ़ कर तो ऐसा ही महसूस होता है.”
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
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