Re: साहित्यकारों के विनोद प्रसंग
मशहूर उर्दू शायर जनाब असरारुल हक़ "मजाज" लखनवी के जीवन से जुड़े कुछ विनोद प्रसंग
राजा साहब महमूदाबाद ने बड़े प्यार से मजाज से खिताब करते हुए कहा, ”मजाज, मेरी बात मानो तो एक बात कहूँ.”
मजाज ने विनम्रतापूर्वक उन्हें देखते हुए कहा, “आपका हुक्म सर आँखों पर. फरमाइए क्या ईरशाद है.”
“मैं चाहता हूँ कि तुम्हारा दो सौ रूपए महीना वजीफ़ा मुकरर कर दूँ.” राजा साहब ने कहा.
“बड़ा करम है हुज़ूर का,” मजाज ने उसी विनम्रता के साथ जवाब दिया.
“लेकिन, राजा साहब गंभीर होते हुए बोले, “लेकिन खुदा के वास्ते तुम शराब पीना छोड़ दो."
“शराब पीना छोड़ दूँ?” राजा साहब को देखते हुए मजाज बड़ी हैरानी और बेचारगी से पूछ बैठे, ”फिर आपसे हर माह मिलने वाले दो सौ रूपए मेरे किस काम आया करेंगे?”
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
Last edited by rajnish manga; 10-10-2015 at 10:33 PM.
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