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जलवायु परिवर्तन सम्मेलन का बहिष्कार
विश्वभर के एनजीओ के कदम को भारत का समर्थन
वारसा। भारत सहित दुनियाभर के गैर सरकारी संगठनों (एनजीओ) ने संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन का बहिष्कार किया। विभिन्न पर्यावरणीय मुद्दों पर काम कर रहे इन संगठनों का आरोप है कि विकसित देश समय नष्ट कर रहे हैं। भारत ने इससे सहमति जताते हुए कहा है कि वह समाज (सिविल सोसायटी) के विचारों को पूरा समर्थन करता है और विकसित देशों को जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए कदम उठाने चाहिए। पर्यावरण मंत्री जयंती नटराजन ने एक बयान में कहा कि मेरे देश के लिए यह बड़ी चिंता का मामला है कि इस सम्मेलन (कॉप) में विकासशील देशों के हितों के मुद्दों पर कोई प्रगति नहीं हुई है। एनजीओ क्लाइमेट एक्शन नेटवर्क साउथ एशिया के संजय वशिष्ट ने कहा कि उनके संगठन ने अन्य संगठनों के साथ वारसा कॉप का बहिष्कार किया। उन्होंने कहा कि विकासशील देशों में जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से निपटने के लिए केवल बातचीत ही हो रही हैं। उन्होंने कहा कि विकासशील देशों में फेलिन तथा हेयान जैसे चक्रवातों से लोग मर रहे हैं। नटराजन ने कहा है कि मैं एनजीओ के विचारों से पूरी तरह सहमत हूं तथा विकसित देशों का आह्वान करती हूं कि वे प्रतिबद्धताओं का कार्यान्वयन करें। उन्होंने आस्ट्रेलिया व जापान जैसे विकसित देशों पर समय नष्ट करने का आरोप भी लगाया। ग्रीनपीस इंटरनेशनल के कार्यकारी निदेशक कूमी नायडू ने कहा कि पोलैंड सरकार ने इन वार्ताओं को कोयला उद्योग के लिए प्रदर्शन भर में बदलने के लिए काम किया है।
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दूसरों से ऐसा व्यवहार कतई मत करो, जैसा तुम स्वयं से किया जाना पसंद नहीं करोगे ! - प्रभु यीशु
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