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अनंतकाल तक नहीं चल सकती सुधार प्रक्रिया : भारत
सुरक्षा परिषद में सुधार के लिए समय सीमा को बताया जरूरी
संयुक्त राष्ट्र। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार के लिए सख्ती से आह्वान करते हुए भारत ने जोर देकर कहा कि इस शक्तिशाली निकाय में सुधार की प्रक्रिया अनंतकाल तक नहीं चल सकती और एक ठोस नतीजा हासिल करने के लिए एक परिणाम आधारित समय सीमा निर्धारित करना महत्वपूर्ण है। संयुक्त राष्ट्र में भारत के राजदूत अशोक कुमार मुखर्जी ने महासभा में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) की वार्षिक रिपोर्ट पर कहा कि यूएनएससी में सुधार लाने की प्रक्रिया अनंत काल तक चलते हुए नहीं देखी जा सकती। एक परिणाम आधारित समयसीमा निश्चित करना जरूरी है, और जो लोग कृत्रिम समय सीमा नहीं थोपे जाने की मांग कर रहे हैं, उन्हें शायद इस प्रक्रिया में कृत्रिम देरी करने की सलाह दी गई है। वर्ष 2015 के विकास एजेंडे में मनाई जाने वाली संयुक्त राष्ट्र की 70वीं वर्षगांठ के साथ मुखर्जी ने कहा, यह महत्वपूर्ण है कि सुरक्षा परिषद में जल्द सुधार के लिए सबसे महत्वपूर्ण अधूरे जनादेश पर संयुक्त राष्ट्र कार्रवाई करे। उन्होंने कहा कि जहां अन्य सभी जनादेश, पूरे किए गए या उन पर कार्य प्रगति में है, केवल यही एक जनादेश है, जिसका ‘कार्य बिना किसी प्रगति’ के, वहीं पर अटका पड़ा है, जहां यह वर्ष 2005 में था। संयुक्त राष्ट्र के सभी सदस्यों ने आठ वर्ष पहले सर्वसम्मति से ‘तत्काल सुधार’ की जो बात कही थी, यह उसकी एक अस्वीकार्य व्याख्या है। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के सुधार पर आयोजित महासभा की पिछली बैठक में बोलने वाले करीब 90 राष्ट्रों में से 58 ने इसकी स्थायी एवं अस्थायी श्रेणी की सदस्यता में विस्तार का आह्वान किया। अन्य 26 सदस्य राष्ट्रों ने वर्ष 2015 तक इसमें ठोस नतीजों की स्पष्ट मांग की थी, जबकि अन्य 23 प्रतिनिधियों ने आलेख आधारित समझौते का समर्थन किया था। मुखर्जी ने कहा कि एक अधिक विश्वसनीय, वैध और प्रतिनिधित्व वाले परिषद के लिए इसके स्थायी एवं अस्थायी श्रेणी में विस्तार और इसकी कार्य प्रणाली में सुधार सहित एक व्यापाक सुधार किए जाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रों की इतनी बड़ी संख्या ने इस मंच से जो सामूहिक आह्वान किया था, उस पर कार्रवाई करने का आग्रह करता हूं। आलेख के आधार पर तत्काल अंतरसरकारी वार्ता शुरू करने और इसकी तार्किक परिणति की ओर आपकी अपनी पहल को आगे बढ़ाने के प्रति इस सभा की भारी बहुमत का समर्थन प्राप्त है। आतंकवाद निरोधी मुद्दे पर मुखर्जी ने कहा कि परिषद ने आतंकवाद के प्रति ‘शून्य सहिष्णुता’ की नीति का समर्थन किया है, जिसका तात्पर्य है कि आतंकवाद को औचित्यपूर्ण बताने के लिए तथाकथित मूल कारणों सहित ‘न कोई कारण या शिकायत’ इस्तेमाल किया जा सकता है। उन्होंने आतंकवाद के विरद्ध लड़ाई में अंतरराष्ट्रीय एवं क्षेत्रीय सहयोग को मजबूत करने के वैश्विक प्रयासों के प्रति भारत के मजबूत समर्थन का भी इजहार किया।
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दूसरों से ऐसा व्यवहार कतई मत करो, जैसा तुम स्वयं से किया जाना पसंद नहीं करोगे ! - प्रभु यीशु
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