07-11-2014, 10:34 AM
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#1012
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Re: अन्ताक्षरी खेले याददास्त बढायें...........
Quote:
Originally Posted by bindujain
यक़ीनन तेरे दामन पर न कोई दाग है फिर भी
शराफ़त के लबादे का उतर जाना ही बेहतर है
"दीक्षित दनकौरी".
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हम तो जी भी न सके एक साथ
हमें तो साथ - साथ मरना था
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