Re: अन्ताक्षरी खेले याददास्त बढायें...........
Quote:
Originally Posted by anjana
ताल्लुकात कभी एक से नहीं रखते
उसे गँवा के भी जीने का हौशला रखना
जब अपने ही लोग आयेंगे लूटने के लिए
तो दोस्ती का तकाजा है घर खुलना रखना
|
नीर की गठरी में वो फिर आग भर कर आ गए
देखिये आकाश में बादल उभर कर आ गए
कुंवर बेचैन
__________________
मैं क़तरा होकर भी तूफां से जंग लेता हूं ! मेरा बचना समंदर की जिम्मेदारी है !!
दुआ करो कि सलामत रहे मेरी हिम्मत ! यह एक चिराग कई आंधियों पर भारी है !!
|