08-11-2014, 08:51 AM
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#1018
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Re: अन्ताक्षरी खेले याददास्त बढायें...........
Quote:
Originally Posted by dr.shree vijay
थुलथुल हुआ शरीर, नित्य ही वैद्य बुलावे,
दूध परहेज छोड़, पिज्जा ही मंगवावे,
सुनलो कहे अशोक, नहि यह गाँव की छोरी,
आयी दुल्हन गाँव, बन के शहर की गौरी।।..........
(अशोक चक्रधर)
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रात भर जागते रहने का सिला है शायद
तेरी तस्वीर सी महताब में आ जाती है
मुनव्वर राना
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मैं क़तरा होकर भी तूफां से जंग लेता हूं ! मेरा बचना समंदर की जिम्मेदारी है !!
दुआ करो कि सलामत रहे मेरी हिम्मत ! यह एक चिराग कई आंधियों पर भारी है !!
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