Re: प्यार या आत्मसम्मान
सोनी जी, आपका धन्यवाद कि आपने उक्त सन्दर्भ में नपे तुले शब्दों में बहुत गहन-गंभीर विचार रखे है. अधिकतर लोग यही कह कर अपनी बात की इतिश्री कर लेते हैं कि सहना भारतीय स्त्री की नियति है. मैं एक और बात भी महसूस करता हूँ कि हमारे समाज में स्त्रियाँ अपने आत्म सम्मान को अपने परिवार के मान-सम्मान के साथ एकरूप कर देती हैं. ऐसी स्थिति में उसका अपना आत्म सम्मान पृष्ठभूमि में छुप जाता है अर्थात् उसकी ओर से न केवल उनके परिवारजन बल्कि स्वयं प्रभावित स्त्रियाँ भी एक प्रकार से आँख मूँद लेती हैं. अधिकतर मामलों में पति या परिवार को चैलेंज कर के स्त्री किसी प्रकार की असुरक्षा को आमंत्रित नहीं करना चाहती.
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
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