Re: नौ सपने – अमृता प्रीतम
भाग 8
यह कैसा भादों?
यह कैसा जादू?
सब बातें न्यारी हैं
इस गर्भ के बालक का चोला
कौन सीयेगा?
य़ह कैसा अटेरन?
ये कैसे मुड्ढे?
मैंने कल जैसे सारी रात
किरणें अटेरीं…
असज के महीने –
तृप्ता जागी और वैरागी
“अरी मेरी ज़िन्दगी!
तू किसके लिए कातती है मोह की पूनी!
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