Re: ये इश्क़ था या कोई बला जा’ना
Quote:
Originally Posted by sunnysingh16388
जो मिल गया उसे अपना लिया
मैंने इस तरह जीवन बिता लिया
मांझी की यादों में से भी मैंने
कुछ याद रखा, कुछ भुला लिया
शहनाइयां बजती थीं बाहर और
मैंने किवाड़ अंदर से लगा लिया
shayar: Sunny singh "akash
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वाह! बहुत भावपूर्ण कविता.
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
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