Re: क्या समय यात्रा सम्भब है !
मानक समय (Standard Time)
समय का संबंध किसी निश्चित स्थान के याम्योत्तरवृत्त से रहता है। अत: वह उस स्थान का स्थानीय समय होगा। किसी बड़े देश में एक जैसा समय रखने के लिए, देश के बीचोबीच स्थित किसी स्थान के याम्योत्तर वृत्त का मानक याम्योत्तर वृत्त (standard meridian) मान लिया जाता है। इसके सापेक्ष माध्य-सूर्य का समय उस देश का मानक समय कहलाता है।
विश्व-समय-मापन
विश्व का समय नापने के लिए ग्रिनिच के याम्योत्तर वृत्त को मानक याम्योत्तर मान लेते हैं। इसके पूर्व में स्थित देशों का समय ग्रिनिच से, उनके देशांतर के प्रति 15 डिग्री पर एक घंटे के हिसाब से, आगे होगा तथा पश्चिम में पीछे। इस प्रकार भारत का मापक याम्योत्तर ग्रिनिच के याम्योत्तरवृत्त से पूर्व देशांतर 82 है। अत: भारत का माध्य समय ग्रिनिच के माध्य समय से 5 घंटे 30 मिनिट अधिक है। इसी प्रकार क्षेत्रीय समय भी मान लिए गए हैं। ग्रिनिच के 180 डिग्री देशांतर की रेखा तिथिरेखा है। इसके आरपार समय में 1 दिन का अंतर मान लिया जाता है। तिथिरेखा सुविधा के लिए सीधी न मानकर टेढ़ी मेढ़ी मानी गई है।
वर्ष तथा कैलेंडर
पृथ्वी की गति के कारण जब सूर्य वसंतपात की एक परिक्रमा कर लेता है, तब उसे एक आर्तव वर्ष कहते हैं। यह 365.24219879 दिन का होता है। यदि हम वसंतपात पर स्थित किसी स्थिर बिंदु अथवा तारे से इस परिक्रमा को नापें, तो यह नाक्षत्र वर्ष होगा। यह आर्तव वर्ष से कुछ बड़ा है। ऋतुओं से ताल मेल रखने के लिए संसार में आर्तव वर्ष प्रचलित है। संसार में आजकल ग्रेग्रेरियनी कैलेंडर प्रचलित है, जिसे पोप ग्रेगोरी त्रयोदश ने 1582 ई. में संशोधित किया था। इसमें फरवरी को छोड़कर सभी महीनों के दिन स्थिर हैं। साधारण वर्ष 365 दिन का होता है। लीप वर्ष (फरवरी 29 दिन) 366 दिन का होता है, जो ईस्वी सन् की शताब्दी के आरंभ से प्रत्येक चौथे वर्ष में पड़ता है। 400 से पूरे कट जानेवाले ईस्वी शताब्दी के वर्षों को छोड़कर, शेष शताब्दी वर्ष लीप वर्ष नहीं होते। ऐतिहासिक घटनाओं तथा ज्योतिष संबंधी गणनाओं के लिए जूलियन दिन संख्याएँ (Julian day numbers) प्रचलित हैं, जो 1 जनवरी, 4713 ई. पू. के मध्याह्न से प्रारंभ होते हैं।
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