Re: मंटो ने कहा था
मंटो / स्याह हाशिया / ग़लती
“कौन हो तुम?”
“हर हर महादेव !”
“सबूत?”
“मेरा नाम धरमचंद है.”
यह कोई सबूत नहीं !”
“वेदों में से कोई बात मुझसे पूछ लो.”
“हम वेदों की बात नहीं जानते. कोई सबूत दो.”
“कैसा सबूत?”
“पाजामा खोलो.”
पाजामा खुलते ही शोर मच गया.
“मार डालो .. मार डालो .”
ठहरो .. ठहरो ! मैं तुम्हारा भाई हूँ.”
“तो यह क्या सिलसिला है ?”
दरअसल जिस इलाके से आ रहा हूँ, वह हमारे दुश्मनों का इलाका था. इसलिए मजबूर हो कर ऐसा करना पड़ा .... सिफ अपनी जान बचाने के लिए. एक यही चीज गलत हो गई. बाकी बिलकुल ठीक हूँ.”
“उड़ा दो ग़लती को.” किसी ने कहा.
ग़लती उड़ा दी गई. साथ ही धरमचंद भी उड़ गया.
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