15-11-2017, 03:39 PM
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Re: लेखकों व कलाकारों की अजीबो-गरीब आदतें
रांगेय राघव (कथाकार, उपन्यासकार, निबंध लेखक, रिपोर्ताज लेखक आदि)
(मूल नाम तिरूमल्लै नंबकम् वीरराघव आचार्य या T N B Acharya था)
जन्म, 17 जनवरी 1923. निधन, 12 सितम्बर 1962
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रांगेय राघव जी ने अपनी छोटी उम्र में ही लगभग 150 पुस्तकों की रचना की
रांगेय राघव जी मात्र 39 वर्ष की आयु में ही दिवंगत हो गए थे. उनके बारे में उनकी पत्नी डॉ. सुलोचना के पत्रों से हमें इस महान लेखक के व्यक्तिगत जीवन के बारे में कुछ जानकारी मिलती है. चंद बातें इस प्रकार हैं:
रांगेय राघव जी पर समय समय पर विभिन्न विषयों पर लिखने का भूत सवार हो जाता था और एक बार में जम जाते तो अलग अलग विषयों पर कम से कम तीन चार उपन्यास लिख कर ही साँस लेते थे. जब उपन्यास लिखने से ऊब जाते तो कहानियां लिखने लगते. और कहानियों से ऊब जाते तो कविता या चित्रकारी करने लगते. गंभीर से गंभीर विषय की पुस्तकों को इतना चाट डालते की किस पृष्ठ में क्या लिखा है, यह भी उन्हें याद रहता था. गंभीर विषयों से जैसे ही थकान महसूस होती तो बिलकुल हलकी फुलकी कहानियां और उपन्यास पढ़ा करते थे. ....वे कहते थे .... कि जब भी मैं अस्वस्थ होता हूँ तब मैं ‘चंद्रकांता’ या ‘चंद्रकांता संतति’ पढता हूँ. वास्तव में उन्हें जब थोडा सा जुकाम भी हो जाता था तो वो देवकीनन्दन खत्री को याद करते थे.
उनके पास किताबों की एक और श्रेणी भी थी जिसे ‘एल एल’ कहते थे. एल एल यानी- लेट्रीन लिटरेचर. बिना पुस्तक वह शौचालय भी नहीं जाते थे. वहाँ एक छोटी मोटी लायब्रेरी ही मौजूद रहती थी.
स्वार्थ, अलगाव, द्वेष जैसे दुर्गुण उनमे थे ही नहीं. वे अपने लिए बाद में सोचते. सदा दूसरों के लिए ही चिंतित रहते थे.
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
Last edited by rajnish manga; 15-11-2017 at 10:12 PM.
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