Re: किस्सा तीन बहनों का
किस्सा तीन बहनों का
चिड़िया ने कहा, सरकार से यही तो भूल हुई कि आप ने उन्हें हितचिंतक समझा। जब से उन्होंने देखा कि वे नौकरों से ब्याही गईं और छोटी बहन राजरानी बन गई तो वे जल मरीं। उन दुष्टों ने इस बात का भी ख्याल न किया कि मलिका ने शादी के बाद भी उनसे बहनों जैसा प्रेम रखा था। मलिका को मृत्यु-दंड दिलाने के लिए ही उन्होंने तीन- तीन बार सफेद झूठ बोला। वह तो भला हो उस नेक मंत्री का जिसके कारण मलिका की जान बच गई।
मलिका के प्रति अपने दुर्व्यवहार को याद करके बादशाह की आँखों में आँसू आने लगे। चिड़िया फिर बोली, सरकार, अपने सामने बैठे इन तीन बच्चों को देखिए। यह वह पिल्ला, बिलौटा और छछूंदर हैं जिन्हें आपकी मलिका ने जन्म दिया था। मलिका की दुष्ट बहनों ने इनके जन्म पर इनकी जगह मरे जानवर रख दिए और इन्हें कंबल में लपेट कर टोकरियों में डाल-डाल कर बहा दिया था ताकि दूर जा कर डूब जाएँ और किसी को पता न चले। किंतु भगवान को इन्हें जीवित रखना था। आपके दिवंगत बागों के दारोगा ने इन तीनों को ही नहर से निकलवा लिया। उसके कोई संतान नहीं थी इसलिए उसने इनका लालन-पालन अपनी संतान की तरह किया और इन्हें भली प्रकार शिक्षा दिलाई और इनके लिए यह महल बनवाया। सरकार, यह तीनों और कोई नहीं हैं, आप ही की संतानें हैं।
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
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