Re: मुहावरों की कहानी
बहरहाल, हनुमान ने विभीषण को बहुत सम्मान दिया था और श्रीराम ने तो उन्हें लंका का राज ही सौंप दिया था जिससे वहां धर्म और मर्यादापूर्ण राज्य की स्थापना हो सकी। अब समझ में यह नहीं आता कि आखिर रावण राज्य में राम की भक्ति करने वाले, रावण को सद्मार्ग पर चलने के लिए सलाह देने वाले और बुराई के विरुध्द अच्छाई के संग्राम में अच्छाई का साथ देने वाले नायक विभीषण के प्रति ऐसी भर्त्सनात्मक धारणा क्यों बनी है। क्या यह वह बात है जो हर स्थिति में, परम्परागत परिवार में संबंधों के निर्वाह को अनिवार्य मानती है, भले ही वह पूरे परिवार के लिए हितकारी न हो। लेकिन बिना शुचिता और अशुचिता का ध्यान किए हर स्थिति में पारिवारिक संबंधों को निभाने पर समग्रत: तो अहित ही होता है न?
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
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