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पूर्वोत्तर में बनेगा भारत का सबसे लंबा पुल
असम और अरुणाचल प्रदेश को जोड़ेगा, वर्ष 2016 तक पूरा होगा निर्माण
इटानगर। असम राज्य के बोगीबील में ब्रह्मपुत्र नदी पर भारत का सबसे लंबा पुल बनने जा रहा है जो न केवल पूर्वोत्तर के लिए जीवनरेखा होगा, बल्कि देश की सुरक्षा को भी मजबूती देगा। कुल 4.94 किलोमीटर लंबा रेल सह सड़क पुल वर्ष 2016 तक पूरा होगा। वर्ष 1985 में हुए असम समझौते के तहत इस पुल का निर्माण उत्तर पूर्वी सीमांत रेलवे कर रहा है। यह पुल ऊपरी असम और अरुणाचल प्रदेश को जोड़ेगा। रेलवे के अधिकारियों ने बताया कि रेल संपर्क ब्रह्मपुत्र नदी के दक्षिणी किनारे और उत्तरी किनारे के दो रेलवे नेटवर्क को जोड़ेगा। दक्षिणी किनारे पर चौलखोवा स्टेशन और मोरानहट स्टेशन से शुरू होकर यह पुल उत्तरी किनारे पर रांगिया-मुरकोंगसेलेक प्रखंड के सिरिपानी स्टेशन तक जाएगा।
समय की होगी बचत :
अभी नदी पार करने में डेढ़ घंटे का समय लगता है, लेकिन पुल बनने के बाद यह समय घट कर कुछ ही मिनट रह जाएगा। इसके अलावा चीन से लगने वाली सीमा तक पहुंचने का समय भी दस घंटे कम हो जाएगा। पुल से बड़े पैमाने पर सामान की आवाजाही भी संभव हो जाएगी। रेलवे अधिकारियों ने बताया कि इस पुल के बनने से राष्ट्रीय सुरक्षा भी मजबूत होगी, क्योंकि इससे चीन की सीमा तक पहुंचने के लिए दूरी भी कम हो जाएगी तथा सैनिकों के और आपूर्ति पहुंचाने के लिए आसानी होगी।
मछुआरे और नाविक परेशान :
बहरहाल, इस पुल को लेकर सभी लोग खुश नहीं हैं। एक ओर जहां पुल का निर्माण कार्य जोरों पर है वहीं 100 से अधिक मछुआरे परिवार इस आशंका के चलते परेशान हैं कि इससे उनकी आय का स्रोत संकट में पड़ जाएगा। मुन्ना सिंह, ब्रोजेन डोले, राजेश चौधरी और अन्य माझियों के लिए आजीविका के उस साधन का विकल्प खोजना मुश्किल है जिसके जरिए वह पीढ़ियों से अपनी रोजी-रोटी चलाते आ रहे हैं। मुन्ना सिंह के पास दो नौकाएं हैं और फिलहाल वह 15,000 रुपए प्रति माह कमाता है। उसने कहा कि मैं नहीं जानता कि क्या करूं, मेरी नौका सेवा बंद होने का डर मुझे हमेशा सताता रहता है। मैं कैसे अपना गुजारा करूंगा? यही समस्या ब्रोजेन डोले की है जो अपनी नौका से अरुणाचल प्रदेश के लोगों के निजी वाहनों को लाता ले जाता है। बहरहाल, पुल परियोजना के प्रमुख इंजीनियर अजित पंडित ने कहा कि मछुआरों की आशंकाएं निराधार हैं। उन्होंने कहा कि पुल बनने के बाद भी नौका सेवाएं जारी रहेगी, क्योंकि कई स्थानीय नागरिक अपने घर की दूरी कम समय में तय करने के लिए पुल के बजाय जल मार्ग का उपयोग करना चाहेंगे। पंडित ने कहा कि पुल के पूरा होने पर क्षेत्र की अर्थव्यवस्था भी सुधरेगी और स्थानीय लोगों के लिए रोजगार के अवसर भी सृजित होंगे।
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दूसरों से ऐसा व्यवहार कतई मत करो, जैसा तुम स्वयं से किया जाना पसंद नहीं करोगे ! - प्रभु यीशु
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