Re: अन्ताक्षरी खेले याददास्त बढायें...........
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Originally Posted by bindujain
हवाएं साथ चलती हैं फ़िज़ायें साथ चलती हैं
मुझे रास्ता दिखाने को शमाएँ साथ चलती हैं
डरूँ मैं आँधियों से क्यूँ कि तूफाँ क्या बिगाड़ेगा
कि मेरे सर पे तो माँ कि दुआएं साथ चलती हैं
पुरुषोतम'वज्र'
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हमारी अर्जियां क्योंकर नहीं उड़ती हवाओं में
नहीं रख पाये हम चांदी का पेपरवेट क्या कहिये
वे नेता पुत्र थे खिड़की से भीतर हो गए दाखिल
हमारे वास्ते हैं बंद सारे गेट क्या कहिये
(प्रदीप चौबे)
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
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