Re: फ़िल्मी दुनिया/ क्या आप जानते है?
सन 1910 में क्रिसमस के आसपास उन्होंने मुंबई के एक थियेटर में प्रभु यीशु के जीवन पर बनी फिल्म देखी जिससे प्रभावित हो कर उन्होंने भगवान् श्रीकृष्ण के जीवन पर भी उसी प्रकार की फिल्म बनाने का विचार बनाया. उनके परिवार वालों ने उनके इस विचार का विरोध किया किन्तु उनकी पत्नि श्रीमति सरस्वती काकी फ़ालके ने उन्हें प्रोत्साहित किया. कहते हैं कि अपनी बीमा पालिसी को गिरवी रख कर उन्होंने क़र्ज़ लिया और इस विषय में तकनीकी जानकारी प्राप्त करने स्वयं लंदन गए. वहां उनकी मुलाक़ात मशहूर फिल्मकार सेसिल हेपवर्थ से हुयी जिनसे उन्हें अमूल्य गाईडेंस प्राप्त हुई. इस बीच उन्होंने ‘ए.बी.सी. ऑफ़ सिनेमेटोग्राफी’ नामक पुस्तक का अध्ययन किया जिसने उनकी फिल्म निर्माण विषयक जानकारी को और तीक्ष्ण किया.
विदेश से बहुत से उपकरणों तथा बेहतर तकनीकी ज्ञान के साथ फालके साहब वापिस मुंबई आये. एक फाईनेंसर को विश्वास में ले कर और उससे क़र्ज़ ले कर वह फिल्म के निर्माण में अग्रसर हुये. जैसा हमने पहले बताया है वह भगवान् कृष्ण की लीलाओं पर फिल्म बनाना चाहते थे किन्तु अधिक धन की व्यवस्था न होने के कारण उन्होंने ‘राजा हरिश्चंद्र’ नामक विख्यात पौराणिक कथा नायक पर फिल्म बनाने का निर्णय लिया.
|