रोजगार का है जरिया, लेकिन असंतुष्*ट हैं कलाकार
इस बारे में कई फिल्*मों और सीरियलों में काम कर चुके कलाकार रवि भूषण भारतीय की राय थोड़ी अलग है। उनका कहना है कि टेलीविजन सीरियल और फिल्*म अलग-अलग विधा है। फिल्*मों में जहां पूरी कहनी को तीन घंटे में समेटने की चुनौती होती है, वहीं टेलीविजन सीरियल में कुछ मिनट की कहानी को पूरे एपिसोड तक खींचना होता है। दोनों चीजों के बीच कोई तुलना ही नहीं है। आज की तारीख में एक सामान्*य फिल्*म का बजट करोड़ों में होता है, वहीं सीरियल का बजट बहुत कम है। ऐसे में सुविधाओं और शूटिंग स्*थल की कमियों और अच्*छाइयों को लेकर दोनों की तुलना उचित नहीं है। उनका कहना है कि सीरियल के पीछे की कथित काली दुनिया की आलोचना करने के बजाय हमें यह देखना चाहिए कि स्*ट्रगल कर रहे कलाकारों को टेलीविजन सीरियल से कितनी राहत मिली है। कुछ साल पहले तक काम नहीं मिलने के कारण फिल्*मों में किस्*मत आजमाने आए कलाकारों की स्थिति बेहद खराब रहती थी, लेकिन आज ऐसे कलाकारों के लिए सीरियल एक तरह की नौकरी है। उनके सामने आज घर चलाने की समस्*या नहीं है। कार्य स्थल की स्थिति के बारे में उनका कहना है कि निश्चित तौर पर सेट्स पर उपलब्*ध सुविधाएं बेहतर नहीं होतीं, लेकिन इसके लिए कलाकारों को खुद इंतजाम करना चाहिए।