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Old 12-07-2013, 05:38 PM   #20
VARSHNEY.009
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Default Re: यात्रा-संस्मरण

गोवा की गलियों में

भारत के पश्चिमी घाट के पश्चिम किनारे पर स्थित गोवा एक छोटा राज्य है। ३० मई, १९८७ को इसे राज्य का दरजा दिया गया। गोवा की राजधानी है पणजी। इस शहर के एक तरफ़ मांडवी नदी बहती है और दूसरी तरफ़ समुद्र है, जो इसकी शोभा को बढ़ाने में सहायक हैं। गोवा के अन्य प्रमुख नगर हैं मडगाँव, म्हापासा, कांदा और वास्को। पश्चिमी घाट (सह्याद्रि पर्वत) से निकलकर अनेक नदियाँ अरब सागर में मिलती हैं। किंतु गोवा की दो ही नदियाँ प्रमुख हैं- मांडवी और जुवारी।
गोवा में अनेक मंदिर हैं, जो बड़े स्वच्छ, प्रकृति की गोद में निर्मित तथा अपने सुंदर, आकर्षक परिसरों से युक्त हैं। हर मंदिर के सामने तालाब और दीप स्तंभ बने हुए हैं। श्री मंगेश मंदिर, रामनाथ का मंदिर, शांता दुर्गा मंदिर, गोपाल-गणेश का मंदिर, शिव मंदिर, भगवती मंदिर, श्री दामोदर मंदिर, पांडुरंग मंदिर, महालसा मंदिर उल्लेखनीय मंदिर हैं। प्रत्येक मंदिर के अपने संस्थान हैं, जहाँ रहने और भोजन की सुचारु रूप से व्यवस्था की जाती है।
पणजी-पेंडा की मुख्य सड़क पर पणजी से २२ कि.मी. दूर श्री मंगेश संस्थान का मंदिर है। इस बड़े संस्थान के आराध्य श्री मंगेश जी हैं। मंगेश जी के पास ही लगभग एक कि.मी. की दूरी पर महालसा देवी का प्रसिद्ध मंदिर है। यहाँ नवरात्र का उत्सव और अत्यधिक ऊँचाई पर समई (दीप) दर्शनीय हैं। बांदोडा गाँव में पोंडा से ८ कि.मी. दूर नागेश संस्थान का नागेश मंदिर रामायण के चित्रित प्रसंगों के कारण प्रसिद्ध है। इसके पास ही महालक्ष्मी का मंदिर भी है।
पोंडा से चार कि.मी. की दूरी पर स्थित रामनाथ संस्थान का शिव मंदिर अपने शिवरात्रि के भव्य विशाल मेले के कारण जाना जाता है। पोंडा से ही तीन कि.मी. दूर कवले गाँव में शांता दुर्गा संस्थान का विख्यात मंदिर स्थित है, जिसे शांता दुर्गा का मंदिर कहते हैं। यह बहुत ही भव्य और प्राचीन मंदिर है। शांता दुर्गा गोवा निवासियों की ख़ास देवी हैं। कहते हैं कि बंगाल की क्षुब्धा दुर्गा गोवा में आकर शांत हो गईं और शांता दुर्गा के नाम से पूजी जाने लगीं।
पणजी से ६० कि.मी. दूर सह्याद्री घाटी में गोवा-कर्नाटक सड़क के पास तांबडासुर्ल गाँव में तांबड़ीसुर्ल-शिव मंदिर अपने कलात्मक शिल्प एवं वैभव के कारण जाना जाता है। चौदहवीं शताब्दी में कदंब राजाओं के समय इसका निर्माण हुआ।
मडगाँव से ४० कि.मी. दूर कोणकोण गाँव में श्री मल्लिकार्जुन का मंदिर है। वन-श्री हरीतिमा वेष्ठित चतुर्दिक पहाड़ियों से घिरे इस मंदिर को देखने जो भी यात्री आता है, वह इसके प्राकृतिक श्री-सौंदर्य कोदेख मुग्ध होकर वहीं का हो जाता है। मडगाँव से १८ कि.मी. दूर गोवा के लोगों की अपार श्रद्धा का केंद्र दामोदर मंदिर है। नार्वे-डिचोली गाँव में पणजी से ३७ कि.मी. दूर श्री सप्त कोटेश्वर मंदिर है। ऊँचे पहाड़ों पर अवस्थित चंद्रेश्वर तथा सिद्धनाथ मंदिर भी देखने लायक हैं।
वस्तुतः सर्वाधिक मनोमुग्धकारी परिदृश्य गोवा के समुद्र तट ही उपस्थित करते हैं। मीराभार, कलंगुट, बागा, अंजुना, बागातोर, हरमट, कोलवा, बेतुल, पालालें आदि समुद्र तट अपनी सुंदरता के कारण जाने जाते हैं। गोवा का पश्चिमी किनारा अनेक सागर तटों से भरा-पूरा है। बेतुल के समुद्र तट में दो नदियाँ इधर-उधर से आकर मिलती हैं, जिससे वहाँ एक विशेष आकर्षण पैदा हो जाता है। इसी तरह का सौंदर्य बागा का समुद्र तट भी प्रदान करता है। देशी-विदेशी पर्यटकों का मेला-सा समुद्र तटों पर लगा रहता है। भारतीय एवं पाश्चात्य संस्कृति के समरूप हैं ये समुद्र तट। प्राकृतिक सौंदर्यानुभूतियों की संवेदनशीलता भी समुद्र के साहचर्य से केंद्रीभूत हो उठती हैं। प्रकृति एवं मानवी सौंदर्य का ऐसा समवेत उद्रेक दुर्लभ है।
गोवा के किलों, गिरजाघरों, मसजिदों तथा अभयारण्यों का भी महत्त्व है। शत्रुओं से रक्षार्थ पुर्तगालियों ने वार्देज तालुका में मांडवी नदी जहाँ समुद्र से संगम बनाती हैं, भाग्वाद का किला बनवाया था। पास में ही वागाताटे समुद्र तट पर निर्मित कामसुख का किला भी दर्शनीय है। गोवा की राजधानी पणजी के पास मांडवी नदी के किनारे रेयश मागुश का किला स्थित है। पणजी से ही यह दिखाई पड़ जाता है। गोवा-महाराष्ट्र सीमा के उत्तरी छोर पर तेरे खोल का किला है। ये सभी किले मज़बूत, विशाल और अभेद्य हैं।
>प्राचीन और विशाल गिरजाघरों के दर्शन गोवा में होते हैं। पुराने गोवा के गिरजाघर सोलहवीं शताब्दी में निर्मित हुए हैं। आज भी वे पणजी-पोंडा मुख्य मार्ग के किनारे शान से खड़े हैं। इसी स्थान पर एक ओर पुर्तगाल के महान कवि तुईशद कामोंइश का विशाल पुतला खड़ा है, तो दूसरी ओर महात्मा गांधी की भव्य प्रतिमा।
चार सौ वर्षों से सुरक्षित विख्यात संत फ्रांसिस जेवियर का शव बासिसलका बॉम जीसस गिरजाघर में रखा हुआ है। पुराने गोवा में सर्वाधिक विशाल और आकर्षक चर्च है- सा कैथेड्राल चर्च। इसका आंतरिक भाग कलात्मक संत पाँच घंटियों से सुशोभित है। इनमें से एक घंटी सोने की है और बड़ी भी। संत फ्रांसिस आसिसी चर्च का प्रवेश द्वार भव्य और आंतरिक भाग चित्रों से सज्जित है।
इसके पीछे गोवा का प्रसिद्ध संग्रहालय है। संत काटेजान चर्च के प्रवेशद्वार को कहा जाता है कि आदिलशाह के शासनकाल में क़िले का दरवाज़ा था। और भी दर्शनीय गिरजाघर हैं। सांगेगाँव की जामा मस्जिद और पोंडागाँव की साफा मस्जिद के अतिरिक्त बहुत-सी छोटी-छोटी मसजिदें हैं।
गोवा में अनेक सुंदर और विशाल जल प्रपात हैं, जो पर्यटकों को अपनी ओर खींचते रहते हैं। मडगाँव से ४० कि.मी. दूर सह्याद्रि घाटी में है- दूध सागर जल प्रपात। केवल रेल से ही यहाँ पहुँचा जा सकता है। पर्वत शिखर से झरता फेनिल जल-प्रवाह दूध-धारा का भ्रम पैदा करता है। यहाँ पर्यटकों की भीड़ लगी रहती है और घंटों बैठे-बैठे लोग इस मनोरम नयनाभिराम दृश्य का अवलोकन कर रोमांचित होते रहते हैं। सांखली गाँव में एक लघु जल प्रपात है, जिसे हरवलें जल प्रपात कहा जाता है।
डिचोली के पास मायम गाँव में मायम झील है, जिसमें पर्यटक नौका विहार का आनंद उठाते हैं। गोवा के अभयारण्य भी पर्यटकों के आकर्षण के केंद्र हैं। भगवान महावीर वन्य पशु रक्षित वन, बोंडला वन्य पशु रक्षित वन, खोती गाँव वन्य पशु रक्षित वन, विभिन्न जानवरों से सुशोभित हैं। सलीम अली पक्षी रक्षित केंद्र चोडण द्वीप में स्थित है। यहाँ रंग-बिरंगे पक्षियों का कलरव-कूजन संगीत का-सा आनंद प्रदान करता है। पणजी और मडगाँव से पर्यटन विभाग की बसें चलती हैं, जिनसे कम खर्च में गोवा के सभी दर्शनीय स्थानों को सरलता से देखा जा सकता है। जिसने एक बार भी गोवा के श्री-सौंदर्य, रम्य प्रकृति और विभिन्न मनमोहक नयनाभिराम छवि को देख लिया, वह बार-बार देखना चाहता है और उसके लिए गोवा-पर्यटन का आनंद भूल पाना कठिन है।
आवागमन-
कलकलाती, छलछलाती सरिताओं, हरी-भरी वन-श्री सुशोभित पर्वत श्रेणियों, रम्य, सुदर्शन सागर-तटों के कारण गोवा का सारा क्षेत्र दर्शनीय है। इसकी श्री-सुषमा एवं प्राकृतिक सौंदर्यमय वैभव के कारण इसे दक्षिण का कश्मीर कहलाने का गौरव प्राप्त है। गोवा में यातायात के प्रचुर साधन उपलब्ध हैं। रेल से, बस से, पानी के जहाज से, हवाई जहाज से गोवा जाया जा सकता है। मडगाँव रेलवे का महत्वपूर्ण जंक्शन है। यहाँ से केरल को उत्तर भारत से जोड़नेवाली कोंकण रेलवे तथा गोवा को दक्षिण भारत से जोड़नेवाली दक्षिण मध्य रेलवे गुजरती है। कोणकोण, करमली, थिर्वी, पेड़पे कोंकण रेलवे के अन्य महत्त्वपूर्ण स्टेशन हैं। वास्को, सावर्डे और कुर्ले दक्षिण मध्य रेलवे के प्रमुख स्टेशन हैं। मुंबई, पुणे, कोल्हापुर, बंगलौर, मंगलूर से बस के रास्ते गोवा पहुँच सकता है। दामोली हवाई अड्डे से भारत के विभिन्न स्थानों में हवाई जहाज़ से भी जाया जा सकता है। मुंबई से गोवा तक पानी का जहाज़ भी चलता है। विश्राम हेतु होटल, कॉटेज एवं धर्मशालाएँ सुलभ हैं।


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