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>< भूली बिसरी यादें ><
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14-01-2013, 10:36 PM
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jai_bhardwaj
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>< भूली बिसरी यादें ><
मित्रों, मैं आज आपके सामने अंतरजाल से प्राप्त विद्यार्थी जीवन एवं सामान्य जीवन के कुछ चटपटे और सुपरहिट संवादों को लेकर हाज़िर हूँ.
संवाद काल, वातावरण और जगह के अनुसार बदल सकते हैं,..मगर मूल भावना कमोबेश यही होती है....
आप भी आनन्द लीजिये .
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तरुवर फल नहि खात है, नदी न संचय नीर ।
परमारथ के कारनै, साधुन धरा शरीर ।।
विद्या ददाति विनयम, विनयात्यात पात्रताम ।
पात्रतात धनम आप्नोति, धनात धर्मः, ततः सुखम ।।
कभी कभी -->
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Last edited by jai_bhardwaj; 17-03-2013 at
11:53 PM
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