Re: राजस्थान का शौर्यपूर्ण इतिहास : एक परिचय
महाराजा पृथ्वी सिंह सरदार राजसिंह के कथन से प्रभावित हो गया और उसने उस समय १७७२ में राजगढ़ पर आक्रमण करने की आज्ञा प्रदान कर दी। इस पर राजसिंह व फिरोज खाँ ने जयपुर के ४०,००० सैनिकों के साथ दो दलों में विभक्त होकर राजगढ़ की ओर प्रस्थान किया और वसुवा नामक स्थान पर घेरा डाला। जब प्रताप सिंह को यह समाचार मिला तो उन्होंने अपने मंत्री छाजराम हल्दिया, उसके तीनों पुत्र दोलतराम, नन्दराम, रामसेवक, मौजीराम, जीवन खाँ तथा होशदार खाँ आदि सचिवों से परामर्श कर अपने सबी सरदारों को परामर्श के लिए बुलाया।
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'' हम हम हैं तो क्या हम हैं '' तुम तुम हो तो क्या तुम हो '
आपका दोस्त पंकज
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