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Old 26-05-2012, 02:59 AM   #6
Dark Saint Alaick
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Default Re: डार्क सेंट की पाठशाला

फूलों के बीज का थैला

मनुष्य को हमेशा यही सोचना चाहिए कि वह अपने लिए तो सब कुछ करता ही है, लेकिन समाज और देश के लिए भी उसका जो कर्तव्य है उसे भी वह भलीभांति कैसे निभाए। अक्सर हम यही सोचते हैं कि हमारे अकेले के करने से क्या दुनिया बदल जाएगी। लेकिन ऐेसा नहीं है। हम अपने स्तर पर जो भी प्रयास कर सकते हैं जरूर करें। हो सकता है उसका लाभ सीधे तौर पर हमें कभी भी न मिले, लेकिन आने वाली पीढ़ी उसका लाभ जरूर उठा सकती है। तय मानिए जिस दिन से आप ऐसा सोचने लगेंगे, आपको एक सुखद शांति मिलेगी कि आपके कामों का लाभ किसी और को मिल रहा है। प्रसिद्ध रूसी विचारक मैडम लावत्स्की अपनी हर यात्रा में एक थैला रखती थीं, जिसमें कई तरह के फूलों के बीज होते थे। वह जगह-जगह उन बीजों को जमीन पर बिखेरती रहती थीं। लोगों को उनकी यह आदत बड़ी बेतुकी लगती थी। लोग समझ नहीं पाते थे कि इस तरह बीज बिखेरते रहने से क्या होगा। उन्हें आश्चर्य होता था कि मैडम लावत्स्की जैसी समझदार महिला सब कुछ जानते हुए भी ऐसा क्यों कर रही हैं। पर लोगों को उनसे इस बारे में पूछने का साहस ही नहीं होता था, लेकिन एक दिन एक व्यक्ति ने पूछ ही लिया। मैडम, अगर बुरा न मानें, तो कृपया बताएं कि आप इस तरह क्यों फूलों के बीज बिखराती रहती हैं? मैडम ने सहज होकर कहा- वह इसलिए कि बीज सही जगह अंकुरित हो जाएं और जगह-जगह फूल खिलें। उस व्यक्ति ने इस पर फिर सवाल किया-आपकी बात तो सही है पर क्या आप यह दोबारा देखने जाएंगी कि बीज अंकुरित हुए या नहीं। फूल खिले कि नहीं। इस पर मैडम ने कहा-इससे क्या फर्क पड़ता है कि मैं उन रास्तों पर दोबारा जाऊं या नहीं। मैं अपने लिए फूल नहीं खिलाना चाह रही। मैं तो बस, बीज डाल रही हूं, ताकि चारों तरफ फूल खिलें और धरती का शृंगार हो जाए। धरती सुंदर हो जाए। फिर जो इन फूलों को देखेगा, उनकी आंखों से भी मैं ही देखूंगी। फूल हों या अच्छे विचार, उन्हें फैलाने के काम में हर किसी को योगदान करना चाहिए। अगर प्रयासों में ईमानदारी है, तो सफलता मिलेगी ही।
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दूसरों से ऐसा व्यवहार कतई मत करो, जैसा तुम स्वयं से किया जाना पसंद नहीं करोगे ! - प्रभु यीशु
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