28-10-2010, 12:57 AM
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#9
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Originally Posted by jalwa
आप सभी के सहयोग से क्या पता यही चौपाल चल निकले. और फिर दोस्तों का क्या है? जहाँ चारपाई बिछा दी समझो वहीँ चौपाल बन गई. हा हा हा.
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बिलकुल ठीक ही कहा है मित्र. वैसे हो सकता है कि सुबह होने पर कुछ और ही नज़ारे हों इस दुनिया के. में तो उस सुहानी सुबह का इन्तेजार कर रहा हूँ जब सारे मित्र एक साथ चौपाल पर आ जायें और गपशप करें.
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